International Mother's Day : कुछ शब्द उसके लिए, जिसकी वजह से हमारा अस्तित्व है
- By Kartika --
- Tuesday, 09 May, 2023
International Mother's Day : Some Special Quotes for Her
चंडीगढ़ : 9 मई, 2023 : (कार्तिका सिंह/अर्थ प्रकाश) :: International Mother's Day : Some Special Quotes for Her
जानती हूँ कि सुबह से टेक्स्ट्स मैसेज, फेसबुक पोस्ट्स, और इंस्टा स्टोरीज़ पढ़ कर एहसास हो रहा होगा कि उसके बिना हमारा वज़ूद ही क्या है? क्या सच में एक ही दिन काफी होगा उसके लिए? क्या सच में हम हर साल उसके द्वारा किये गए त्यागों का ही महिमा मंडन करते रहेंगे? वो और कोई नहीं, बल्कि माँ है। वही माँ जिसे स्कूल से वापिस आ कर दिन का सारा हाल बताते थे और जिस के होने भर से घर, घर लगता है। वो माँ जो हमारे ख़्वाबों से लेकर ख़्यालों तक, और दिमाग से लेकर जेहन तक पसरी हुई है। जिस माँ की एक नज़र भर से हमारी दुनिया शुरू होती है। और वही माँ जिसके हाथों से बने खाने से भूख मिटती है।
1. वही माँ, जिस के लिए कभी मुनव्वर राणा जी ने लिखा था,
अभी ज़िंदा है माँ मेरी, मुझे कुछ भी नहीं होगा।
मैं घर से जब निकलता हूँ, दुआ भी साथ चलती है।
2. वो, जिसकी परवाह को दीप्ति पाण्डेय ने अपनी फेसबुक वाल पर बख़ूबी अपने शब्दों में पिरोया था...
मैंने नहीं जानी
परवाह से इतर प्रेम की परिभाषा
मैं नहीं जानती
प्रेम की बातों का शब्दकोष, व्याकरण
या कि इतिहास
मैं सिर्फ इतना ही कर पाई
कि महफूज़ रखा तुम्हारा विश्वास
अपनी ओढ़नी की गाँठ में
अब कहीं गिरेगा नहीं
मैंने रख दिए तुम्हारे सपने
दुआओं की संदूक में
तकदीर की लकीरों से फिसलकर
अब वे टूटेंगे नहीं
मैंने नहीं माँगा प्रतिदान तुमसे
लेकिन फिर भी
तुम्हारा वापस ना आना
मुझे खलेगा |
3.वो जो डांट में भी हमें कम और ख़ुद को ज़्यादा कोसती है, वो किन मानसिक उलझनों से गुजरती होगी। बच्चे को ज़रा सी चोट लगने पर जिसे सुना दिया जाता है, कि तुम मां हो, तुम्हे अपने बच्चे का पता होना चाहिए। वो जो शायद हर रोज़ मानसिक स्तर पर अपने अंदर के खलायों को समेटे, चेहरे पर मुस्कान के साथ संभाल लेती है हमें भी, और हमारी तमाम मुसीबतों को भी। जिसके एहसास जमाल एहसानी ने इस तरह लिखा है कि -
माएं दरवाज़ों पर हैं
बारिश होने वाली है।
4. जिसके सामने दुनिया के सारे ख़िताब फ़ीके नज़र आते हैं। जिस की साडी या दुपट्टे को तले ही हम सब की दुनिया सिमट जाती है। उसके बारे में वासी शाह लिखते हैं,
ये कामयाबियां, ये इज़्ज़त, ये नाम तुमसे हैं,
ऐ मेरी माँ, मेरा सारा मक़ाम तुमसे है।
5.वो जिसकी जगह कोई नहीं ले सकता। जिसके जाने के बाद उस जगह को आबाद होने में एक लम्बा अरसा भी लग सकता है। जिसके बारे में राजिंदर सिंह बेदी लिखते हैं, कि
औरतें बीसियों, सैंकड़ों हो सकती हैं, माँ सिर्फ़ एक ही होती है।
6. वो रहे या न रहे, उसकी जगह दिल में बसे पहले इश्क़ की दास्ताँ है। इस बार आप भी माँ को हौले से कहें, कि खाना बनाते हुए किचन में से आती तुम्हारे गुनगुनाने की आवाज़ मन को बड़ी अच्छी लगती है। जब वो खाने के वक़्त तुम हर बात को जल्दी-जल्दी दोहराती हो न की ये करना है आज, वो बिल भर देना, कोई काम तो सब मैं ही करूँ ना, तो तुम्हारा यूँ झल्लाना जैसे मन के सबसे अंदर वाले कोने में बस सा गया है।
और अगर वो भौतिक तौर नहीं है, तो उसकी याद हमेशा हमारे जेहन के सबसे हसीं पलों में शुमार रहेगी। जैसे इश्क़ है,संगीत है, ज़िन्दगी है...... जैसे वो गीत है न --
तुमसे ही दिन होता है, सुरमई शाम आती है,
तुम से ही, तुम से ही !
हर घड़ी सांस आती है, ज़िन्दगी कहलाती है,
तुम से ही, तुम से ही। ..